हम हमेशा अपने आस पास हज़ारो चीज़ देखते हैं और फिर मन में उन्हें लेने की ललक उत्पन्न होने लगती है परंतु धन की कमी के वजह से कभी कभी विवश हो कर रह जाते है। कई बार किसी सरकारी अफसर या किसी बड़े व्यक्ति को देखते है और उन्हें देख कर भी मन में यही लगता है की हम भी उस इंसान जैसा बन जाए परंतु वो भी नहीं बन पाते। आज बात करने जा रहे है उसी एक चीज़ की जिसे इंसान नहीं कर पता और अगर कर ले तो उसे मनचाहा परिणाम जरूर मिलता है।
जी हाँ, वो चीज़ है “परिश्रम“। कहने में सरल है और करने में मुश्किल। अगर प्रत्येक इंसान अपने जीवन में आलस्य को त्याग कर परिश्रम करता है तो उसे जीवन में वो तमाम सुख सुविधाए अवश्य मिलती है जिसकी वो कल्पना करता है। परिश्रम ही वो घोर तपस्या है जिससे मनुष्य खुद को साबित कर पाता है। संसार की जब से रचना और मनुष्य जाती की शुरुआत हुई तब से ही इंसान परिश्रम करता आया है कभी शक्तियों की खोज में तपस्या कर रहे साधु के रूप में, कभी वर्चस्व्य की होड़ में जंग में लड़ रहे योद्धा के रूप में, तो कभी दो वक़्त की रोटी के लिए मेहनत करते एक आम आदमी की रूप में। हर वक़्त मनुष्य के लिए एक परीक्षा होती है जिसे उसे पार करना होता है। जिसका जितना परिश्रम होता है उसे परीक्षा में उतना ही अच्छा फल मिलता है।
आखिर हर कोई क्यों नहीं कर पाता परिश्रम –
कई लोग कहते हैं कि हमने बहुत परिश्रम किया है परंतु फिर भी जो चाह वह नहीं मिला लेकिन क्या उनसे कभी किसी ने पूछा है कि क्या उनके द्वारा किए गए प्रयास उस खवाइश को पूरा करने के लिए पर्याप्त थे। शायद ऐसे इंसान परिश्रम का महत्व समझ ही नहीं पाते। परिश्रम कोई भोग विलास या आनंदमय वास्तु नहीं है जिसे करने में मजा आता हो। इसके लिए इंसान को अपने मन को मारना पड़ता है एक बार नहीं बल्कि बार बार जब तक उसे उसके लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती। इसके लिए मनुष्य का उसकी इन्द्रियों पर संतुलन होना बहुत आवश्यक है। जो ऐसा कर लेता है वो हर तरह की स्थिति में खुद को साबित कर लेता है।
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है –
दुनिया में रजनीकांत, डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम, शाहरुख़ खान जैसे कई बड़े उद्धरण हैं जिन्होंने अपनी जिद और परिश्रम से वह सब पाया है जिसकी शायद उन्होंने कल्पना भी ना की हो। अतः अभी भी देर नहीं हुई है अगर आज से ही ठान लिया जाए तो वह दिन दूर नहीं है जब आप भी उस मुकाम पर खड़े होंगे जिसकी आपने कभी सपने देखे थे। याद रखिए आप की जिद और परिश्रम की शक्ति ही आपको एक तिनके से आसमान तक का सफर तय करा सकती है क्युकी आखिरकार परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।